Sonia Gandhi Leader of masses

Sunday, September 1, 2013

सोनिया गांधी ने की अहिंसा मैसेंजर की शुरूआत



कृष्णा तीरथ जी, किशोर चंद्रदेव जी, जेपी अग्रवाल जी, किरण वालिया जी, अंबिका चौधरी जी यहां सभी मौजूद कांग्रेस गण, उपस्थित अधिकारी गण, बहनों, भाइयों अहिंसा मैसेंजर कार्यक्रम का आज शुरूआत है। मुझे बेहद खुशी है कि इस अवसर पर मैं आप सब के बीच हूं। इस समारोह में भाग लेने आएं महिलाओं और युवा पीढ़ी के उत्साह से सारा वातावरण एक नए लगन और उर्जा से भर गया है। ये गर्मजोशी स्वभाविक है क्योंकि अहिंसा मैसेंजर का सीधा संबंध महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण से है। महिलाओं के कानूनी अधिकारों, उनके आर्थिक सामाजिक विकास, उनकी सुरक्षा और सम्मान के बारे में अहिंसा मैसेंजर जन-जन तक जागरूकता और जानकारी पहुंचाएगी। इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए इन्हे ट्रेनिंग देकर सक्षम बनाया जाएगा और इसकी विशेषता एक और है, यह कि किशोर बालकों को भी इसमे शामिल किया गया है। राजीव जी की गहरी और दूरदर्शी सोच थी कि महिलाएं समाज की अंतरआत्मा होती हैं। परिवार और समाज को एक सूत्र में बांधकर रखती है। वह सभी महिलाओं को राजनीतिक ताकत देना चाहते थे और इसी लिये पंचायत राज संस्थाओं में एक तिहाई आरक्षण के लिये राजीव जी ने खुद संघर्ष किया है। उनके दिखाए रास्ते पर आगे बढ़ते हुए हमारी यूपीए सरकार ने महिलाओं के लिये पंचायतों में आरक्षण को एक तिहाई से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया है। आज हमारी पंचायत राज संस्थाओं में लाखों-लाखों महिलाएं अपनी आवाज बुलंद करती है। साथ ही बड़ी संख्या में महिलाएं शिक्षा, कला, उद्योग, बैंकिंग, विज्ञान, प्रशासन और राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान कर रहीं है। लेकिन जहां एक तरफ महिलाएं सभी क्षेत्र में कामयाबी की उचाईयां छू रही है, वहीं दूसरी तरफ बाल विवाह, कन्या भ्रूण हत्या, दहेज संबंधित अत्याचार, घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न जैसी शर्मनाक घटना और कुरूतियों की शिकार हो रही हैं। मुझे गर्व है कि हमारी यूपीए सरकार ने महिलाओं की अस्तित्व की रक्षा और उन्हे सशक्त बनाने के लिये प्रभावशाली कानून और नीतियां बनाये है। तमाम योजनाओं, तमाम कार्यक्रमों के लिए बेजोड़ संसाधन उपलब्ध कराया है। मिशाल के तौर पर महिलाओं के साथ होने वाली यौन अपराधों के खिलाफ आपराधिक कानून संसोधन अधिनियम लागू किया जिसमे कड़ी सजा का प्रावधान है। कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम, पुस्तैनी जमीन में लड़कियों को लड़कों के बराबर अधिकार संबंधी कानून बनाया है। संसद और विधानसभाओं में महिला आरक्षण के लिए विधेयक भी संसद में पेश किया है। आंगनबाड़ी के बहनों का मानदेय दो गुना बढ़ाया है। हाल ही में लोकसभा में पास किया राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में भी महिलाओं को विशेष महत्व दिया गया है। जहां पीडीएस में बहुत ही सस्ते दर पर अनाज के अधिकार की कानूनी गारंटी दी गयी है। वही सस्ते अनाज के साथ-साथ गर्भवती महिलाएं 6000 रू की आर्थिक सहायता की भी हकदार होंगी। सस्ते राशन की दुकानों का अलार्टमेंट महिला स्वयं सहायता समूह को दिया जाएगा। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से महिलाओं को स्वयं सहायता समूह में संगठित करने और उनके समूह को कम व्याज पर कर्ज की सुविधा के जरिये उन्हे आत्मनिर्भर बना रहे है। इनकी आमदनी बढ़ाने का बड़े पैमाने पर प्रयास किया जा रहा है। सबला योजना के अंतर्गत किशोर उम्र की बालिकाओं को शिक्षा, बेहतर पोशन, स्वास्थ्य और स्कील डबलपमेंट के जरिये और सशक्त बनाया जा रहा है। इससे लाभ उठाने वाली लड़कियों को ट्रेनिंग देकर उन्हे अहिंसा मैसेंजर की जिम्मेदारी दी जाएगी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी कोच की महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। बहनों और भाइयों हमे इस बात का एहसास है कि केवल कानून बनाने से या नीतियों की घोषणा करने से महिलाओं का सशक्तिकरण नहीं होगा। इसके साथ कानूनों और नीतियों को ठीक तरिके से जमीनी स्तर पर लागू करना भी जरूरी है। लेकिन सबसे बुनियादी बात यह है कि हमारे समाज के नजरिये में बदलाव लाने की जरूरत है। पुराने ख्याल को दूर करके महिलाओं को पुरूषों के समान दर्जा देना एक बहुत बड़ी चुनौति है। महिलाओं के खिलाफ व्यवहार और गैर बराबरी के दिवार को गिराना होगा और इसके लिये एक सामाजिक क्रांति की जरूरत है। मैं कहना चाहूंगी कि हम सब बहनों की जिम्मेदारी बनती है कि इस बदलाव के क्रांतिकारी कदम की शुरूआत हम सभी अपने-अपने घरों और परिवारों से ही शुरू करे। हम सब जानते है कि माता-पिता की शिक्षा से ही बच्चे प्रभावित होते है। घर के चार दिवारों में ही उनके समाजिक विचार की ढ़ांचा तैयार होता है। परिवार में जो अधिकार भाई को है वही बहन को भी होना चाहिए, बहन अपने भाई से कोई कम नहीं है। लड़को की तरह उन्हे भी शिक्षा, विकास और रोजगार जैसे दूसरे अवसर पाने का भी अधिकार है। लड़को की तरह उनके अंदर भी हिम्मत, हौसला और आत्मविश्वास पैदा करने की जरूरत है। तो मै उम्मीद करती हूं कि इस बदलाव को लाने में अहिंसा मैसेंजर की यह मुहिम एक बहुत ही प्रभावी कदम साबित होगी। अंत में मैं श्रीमति कृष्णा तीरथ और उनके मंत्रालय के सभी अधिकारियों को बधाई और धन्यवाद देती हूं, कि उन्होने अहिंसा मैसेंजर कार्यक्रम की शुरूआत इतने विशाल समारोह के साथ किया और दूरदराज से आएं सबला योजना से जूड़ी हमारी युवतियां और आंगनबाड़ी की कार्यकर्ताओं की भी मैं आभारी हूं जिन्होने इतनी भारी संख्या में इस कार्यक्रम में भाग लिया और इसे सफल बनाया। इस अवसर पर हम सब संकल्प करे कि महिलाओं के विरूध हिंसा की सोच और हिंसा की घटनाओं को हम सब मिलकर बिलकुल खत्म करेंगे व सभी कदम हम उठाएंगे जिससे महिलाएं डर से मुक्त हो, सशक्त हो, उनकी गरिमा बढ़े और उनका सम्मान हो। अंत में मैं इस सभा में आने के लिये आप सभी को धन्यवाद देती हूं और दिल से आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद, जय हिंद।

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